Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -18-Jun-2022 - कला

काव्य गोष्ठी

जग में उसकी कला निराली हैं, 
कलम को दी कला लिखने की, 
कलाकार को भाव प्रकट करने की, 
रब मेरे तेरा करूंँ अदा शुक्रिया ,
तूने तो दी यहांँ छटा आली हैं |

तेरा मेरा करते हैं लोग यहाँ,
कंस जैसा रूप धरते लोग यहाँ, 
बच्चियों को मार रहे गर्भ में ही,
अंधियारा बिखर रहा जग में यहाँ
 यह क्या हो रहा सवाली हैं |

खयालों,  ख्वाबों की दुनिया बनी एक, 
उसमें बिखरे हैं रंग यहाँ अनेक,
आसमान में कभी तारें चमक रहें, 
कभी बारिश और धूप की छटा देख ,
इंद्रधनुषी रंगों की बहार निराली हैं | 

हरियाली फैंलाएँ हम चारों तरफ,
 मुस्कान से जीते दिल हर तरफ, 
पूजा में तेरी मन लगा रहे मेरा ,
 प्रकृति की गोद हो हर तरफ ,
मेरी एक यही कामना जीवाली हैं |

हर कोई चले तेरी इच्छा से प्रभु,
हर दिल में तेरा वास रहे प्रभु, 
खुशियों में भी तेरा नाम जपें, 
गमों में जैसे तुझे भूलते न प्रभु,
सृष्टि में तेरा नहीं कोई जवाबी हैं |

जग का पालनहार तू हैं, 
हर कर्म का दावेदार मैं हूँ, 
देना सद्बुद्धि इतनी मुझको, 
तेरी हर कला यहाँ निराली हैं,

दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा दिल्ली
तुझ पर मुझको जान लुटानी हैं ||

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7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

22-Jun-2022 11:58 AM

बेहतरीन रचना

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Pallavi

19-Jun-2022 09:43 AM

Nice post 😊

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Punam verma

19-Jun-2022 08:13 AM

Nice

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